6 साल से चुनावी प्रक्रिया से दूर हैं ये दल, 15 जुलाई तक देना होगा जवाब
रांची: झारखंड की सात राजनीतिक पार्टियों पर अब अस्तित्व का संकट मंडराने लगा है। केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने इन दलों की राजनीतिक मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इन दलों को चुनाव आयोग की ओर से नोटिस भेजकर पूछा गया है कि आखिर क्यों ना उनकी मान्यता समाप्त कर दी जाए। आयोग ने सभी दलों से 15 जुलाई तक शपथ-पत्र के साथ लिखित जवाब मांगा है। यदि तय समय तक संतोषजनक उत्तर नहीं मिला तो इन दलों की मान्यता रद्द की जा सकती है।
किन दलों को मिला है चुनाव आयोग का नोटिस?
सूत्रों के अनुसार, जिन सात दलों को केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा नोटिस भेजा गया है, उनमें शामिल हैं:
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भारत विकास मोर्चा (देवघर)
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भारतीय जनशक्ति मोर्चा (पलामू)
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मानव मुक्ति मोर्चा (पलामू)
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नवजवान संघर्ष मोर्चा (गढ़वा)
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जनसाधारण पार्टी (रांची)
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झारखंड विकास दल
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राष्ट्रीय मजदूर किसान प्रजातांत्रिक पार्टी
इन सभी दलों का पंजीकरण चुनाव आयोग के पास है, लेकिन बीते 6 वर्षों से इन्होंने किसी भी लोकसभा, विधानसभा या उपचुनाव में हिस्सा नहीं लिया है। यही इनकी मान्यता रद्द करने का मुख्य कारण बना है।
15 जुलाई तक देना होगा जवाब, 22 जुलाई को सुनवाई
राज्य निर्वाचन पदाधिकारी के कार्यालय द्वारा इन दलों के पते पर नोटिस भेज दिया गया है। सभी दलों को 15 जुलाई तक लिखित जवाब देने को कहा गया है। साथ ही उन्हें 22 जुलाई को आयोग कार्यालय में व्यक्तिगत या प्रतिनिधि के माध्यम से उपस्थित होकर पक्ष रखने का मौका भी दिया गया है। यदि तय समय में कोई जवाब नहीं आता, तो इन दलों की मान्यता स्थायी रूप से रद्द कर दी जाएगी।
किस आधार पर रद्द होती है मान्यता?
भारतीय चुनाव आयोग के अनुसार, किसी भी राजनीतिक दल को राज्य स्तरीय या राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा देने के लिए कुछ मानक तय किए गए हैं:
यदि कोई दल लंबे समय तक निष्क्रिय रहता है, तो उसकी मान्यता स्वतः समाप्त मानी जाती है या आयोग उसे रद्द कर सकता है।
क्या पार्टियों ने दी कोई प्रतिक्रिया?
अब तक इन सात राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव आयोग को कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। न ही यह स्पष्ट हो सका है कि ये दल अभी अस्तित्व में हैं या पूरी तरह निष्क्रिय हो चुके हैं। यदि निर्धारित समय तक कोई दस्तावेज या शपथ-पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया, तो उनकी मान्यता स्वतः समाप्त मानी जाएगी।
झारखंड की राजनीति में सक्रियता खत्म करने वाले दलों पर अब चुनाव आयोग का शिकंजा कसता दिख रहा है। आने वाले दिनों में यह तय होगा कि ये दल सिर्फ नाम भर हैं या इनमें अब भी राजनीतिक जीवन बाकी है। 15 और 22 जुलाई की तारीखें इन दलों के भविष्य को तय करेंगी।